20.12.1969

"...वाणी से प्रजा बनती है लेकिन

ईश्वरीय स्नेह और शक्ति से

वारिस बनते हैं,

तो वारिस बनाने है।

 

यह फर्स्ट स्टेज का पुरुषार्थ है।

वाणी से किसी को

पानी नहीं कर सकते

लेकिन स्नेह और शक्ति से

एक सेकेण्ड में

स्वाहा करा सकते है।

 

यह भी अन्त में मार्क्स मिलते हैं।

वारिस कितने बनाये

प्रजा कितनी बनाई।

वारिस भी किस वैराइटी

और प्रजा भी किस वैराइटी की

और कितने समय में बने।

 

फाइनल पेपर आज सुना रहे हैं।

किस-किस क्वेश्चन पर

मार्क्स मिलते है

एक तो यह क्वेश्चन

अन्तिम रिजल्ट में होगा

 

दूसरा सुनाया

अन्त तक सर्विस का शो।

 

और तीसरी बात थी

आदि से अन्त तक

जो अवस्था चलती आई है

उसमें कितना बारी फेल हुए है,

पूरा पोतामेल एनाउन्स होगा।

 

कितने बारी विजयी बने

और कितने बारी फेल हुए

और विजय प्राप्त की तो

कितने समय में?

 

कोई भी समस्या को

सामना करने में

कितना समय लगा?

 

उनकी भी मार्क्स मिलेगी।

 

तो सारे जीवन की सर्विस

और स्वस्थिति

और अन्त तक

सर्विस का सबूत

यह तीन बातें देखी जाती हैं।..."

 

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